कविता विवशता April 1, 2015 / April 4, 2015 by लक्ष्मी अग्रवाल | Leave a Comment माफ कर देना मुझे गर हो सके तो क्योंकि मेरी लाडो ये दुनिया नहीं है तेरे लिए यहां पग-पग तेरी राहों पर बिछे होंगे कांटे तेरे पैदा होते ही शुरू हो जाएगा चारों ओर मातम। जैसे-जैसे बड़ी होगी तू मेरी रानी शुरू हो जाएगी तेरे जीवन में परेशानी समाज नहीं देगा हक तुझे कोई गर […] Read more » Featured mother's problem लक्ष्मी जायसवाल अग्रवाल विवशता