माफ कर देना मुझे गर हो सके तो क्योंकि मेरी लाडो ये दुनिया नहीं है तेरे लिए यहां पग-पग तेरी राहों पर बिछे होंगे कांटे तेरे पैदा होते ही शुरू हो जाएगा चारों ओर मातम। जैसे-जैसे बड़ी होगी तू मेरी रानी शुरू हो जाएगी तेरे जीवन में परेशानी समाज नहीं देगा हक तुझे कोई गर मैं कोशिश भी करूं तो भी नहीं कर पाऊंगी तेरे साथ इंसाफ हमारी इस अनोखी दुनिया में पग-पग आएंगी तेरी राह में हजारों मुश्किलें। तेरी मासूम मुस्कान देखकर किसी के भीतर का शैतान जाग जाएगा तेरी नन्हीं सी अठखेलियां मेरी रातों की नींद उड़ाएगा कैसे बचाऊंगी तुझे दुनिया से हर पल यही ख्याल बैचेन कर जाएगा। तेरे पढऩे-लिखने पर भी ये समाज कई पहरे लगाएगा गर तू बढ़ गई जीवन में आगे, तो देखकर तेरी कामयाबी, तेरे चरित्र पर भी ये समाज हजारों सवाल उठाएगा। एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब तेरी विदाई का मेरा मन सपने संजोएगा। दिल पर रखकर पत्थर विदा मैं करूंगी तुझे लाडो पर तब भी हर पल मुझे तेरी सुरक्षा का ख्याल सताएगा। दहेज का लालची ये समाज कहीं तेरा अस्तित्व तो नहीं रौंद जाएगा। मेरी लाडो तेरा पूरा जीवन इस समाज में परेशानियों से घिर जाएगा। इसलिए मेरी लाडो माफ करना अभी के लिए मुझे क्योंकि लाना इस जग में तुझे होगा अपराध मेरा। मैं इंतजार करूंगी उस दिन का जब समाज तेरे स्वागत में बांहें फैलाएगा। पता नहीं कितने दिन महीने या साल लग जाएं पर शायद वो दिन कभी तो आएगा। जब तू घूम सकेगी आजाद इस समाज में भर सकेगी अपनी स्वछंद उड़ान। जब चाहे खिलखिला सकेगी पूरे कर पाएगी अपने अरमान लाडो मेरी उस दिन तुझे मैं जरूर दूंगी जीवन, पर अभी तुझे करना ही होगा बलिदान। माफ कर देना मुझे, पर बेटी की राहें यहां नहीं आसान नहीं देख सकती मैं तुझे देते हुए हर पल इम्तिहान इसलिए मांग रही हूं लाडो तुझसे ये बलिदान। माफ कर देना मुझे माफ कर देना मुझे याद रखना लाडो नहीं है ये मेरे लिए भी आसान पर फिर भी मांग रही हूं तेरे हित के लिए बलिदान। -लक्ष्मी जायसवाल अग्रवाल