धर्म-अध्यात्म “प्रातः सायं ईश्वर की उपासना मनुष्य का अनिवार्य धर्म है” August 28, 2018 / August 28, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। हम मननशील हैं, अतः हमारा प्रमुख कार्य मनन पूर्वक सभी कार्यों को करना है। मनुष्य संसार में आता है तो वह वह संसार को देख कर जिज्ञासा करता है कि यह संसार किसने बनाया है? सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, ग्रह-उपग्रह तथा लोक लोकान्तर किसने बनाये हैं? पृथिवी […] Read more » Featured अथर्ववेद ज्योति ऋग्वेद ज्योति ग्रह-उपग्रह चन्द्र पृथिवी यजुर्वेद ज्योति वैदिक सूर्य
समाज वैदिक धर्मी मनुष्यों के मुख्य कर्तव्य एवं उनकी दिनचर्या February 19, 2018 / February 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में सबसे पुराना, वैज्ञानिक, सबको मित्र व प्रेम की दृष्टि से देखने वाला व वैसा ही व्यवहार करने वाला धर्म वैदिक धर्म है। वैदिक धर्म पूर्ण व सर्वांगीण धर्म है। इसमें सभी विद्यायें एवं सभी विषयों का ज्ञान उपलब्ध है। अन्य सभी मत मनुष्यों व उन मतों के आचार्यों व गुरुओं […] Read more » Featured वैदिक वैदिक धर्मी मनुष्य
धर्म-अध्यात्म वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण May 14, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -‘वेद परिवार के सब सदस्यों के हृदयों व मनों की एकता का सन्देश देते हैं’- –मनमोहन कुमार आर्य– वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद ईश्वर प्रदत्त होने के कारण ही सब सत्य विद्याओं से युक्त सर्वांगपूर्ण ज्ञान है। अतः वेदों को पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना व प्रचार करना सब विचारशील मनुष्यों का […] Read more » Featured दयानंद सरस्वती वेद वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण वैदिक
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती April 20, 2015 / April 21, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती –मनमोहन कुमार आर्य– महर्षि दयानन्द ने वेदों के आधार पर विद्या की नगरी काशी के सभी पण्डित समुदाय को चुनाती दी थी कि मूर्तिपूजा अवैदिक है। वेदों में मूर्ति पूजा नहीं है। अतः मूर्तिपूजा वेदविहित न होने से कर्तव्य नहीं है। काशी के सभी पण्डित मूर्तिपूजा करते व कराते थे और भक्तों से दान […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती वैदिक