कविता शाम से ही बस तेरी याद आने लगती है June 17, 2019 / June 17, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी शाम से ही बस तेरी याद आने लगती है |दिल से एक ही आवाज आने लगती है || होगा मिलन जब ये चाँदनी रात आयेगी |बाते करते करते सारी रात कट जायेगी || होगी सुबह,जब सूर्य की किरण जगायेगी |मस्ती भरी आँखों में तेरी ही याद आयेगी || चाहती हूँ बस इस […] Read more » poem poetry शाम
कविता सुरमई शाम ढल रही है September 7, 2017 by राकेश कुमार सिंह | Leave a Comment राकेश कुमार सिंह सुरमई शाम ढल रही है, बेताबियाँ सीने पर, नस्तर चला रही है, आज फिर से उनका, ख्याल आ रहा है ! भोली सूरत, कजरारी आँखे, जुल्फें ऐसी, बादल भी सरमाये, उनकी यादो का, उन मुलाकातों का, प्यारा सरमाया, बेजार कर रहा है ! पहचान वो बर्षो पुराना, रवां हो रहा है, ख्यालो […] Read more » शाम