विविधा लेखन को स्थायित्व और वैधता देती निजी वेबसाइट August 21, 2018 / August 21, 2018 by अर्पण जैन "अविचल" | Leave a Comment डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ इंटरनेट की इस दुनिया ने पाठकों की पहुँच और पठन की आदत दोनों ही बदल दी है, इसी के चलते प्रकाशन और लेखकों का नज़रिया भी बदलने लगा है। भारत में लगभग हर अच्छे-बुरे का आंकलन उसके सोशल मीडिया / इंटरनेट पर उपस्थिति के रिपोर्टकार्ड के चश्में से देखकर तय किया […] Read more » Featured कंपनी पृष्ठ वर्तमान इंटरनेट व्यक्ति समीक्षा तथा सोशल मीडिया सरकार संस्था संस्थान साहित्यकर्मी से समाजकर्मी
समाज ‘‘ समाज में उजालें कम क्यों हो रहे हैं? ’ July 13, 2018 / July 13, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग स्वार्थ चेतना अनेक बुराइयों को आमंत्रण है। क्योंकि व्यक्ति सिर्फ व्यक्ति नहीं है, वह परिवार, समाज और देश के निजी दायित्वों से जुड़ा है। अपने लिए जीने का अर्थ है अपने सुख की तलाश और इसी सुख की तलाश ने अनेक समस्याएं पैदा की हैं। सामाजिक जीवन का एक आधारभूत सूत्र है सापेक्षता। […] Read more » ‘‘ समाज में उजालें कम क्यों हो रहे हैं? ’ Featured आश्वस्त करना ग्लानि का निवारण करना देश या राष्ट्र न अविश्वास न असुरक्षा की आशंका होगी न शत्रुता न संग्रह न हिंसा वात्सल्य प्रकट करना समाज संस्था स्वार्थ चेतना