कविता
‘सर’ संबोधन का ये रिवाज मिटाना होगा
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायक‘सर’ संबोधन का ये रिवाज मिटाना होगा,विदेशी गुलामी से हमें निजात पानी होगी,देशी संबोधनों को अब हमें अपनाना होगा! ‘सर’ में बड़ा अहं है, अधिकार का वहम है,‘सर’ संबोधन में सेवा भावना बहुत कम है,तनिक नहीं रहम,’सर’ अंग्रेजों सा बेरहम है! सर में डर है,डरा-डरा देश का हर जन है,सर बोलनेवाले दीन,हीन,लाचार दीखते […]
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