कविता विविधा हमें पार जाना ही है April 26, 2015 / April 26, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मनीष सिंह- नाव भँवरों की बाहों में है फंस गयी , उस पार पर हमको जाना ही है। घिर गए हैं तूफ़ान में गर तो क्या , पार पाने जा जज़्बा दिखाना ही है। अँधियारा है घना बुझ रहे हैं दिये , हैं खड़ी मुश्किलें सामने मुँह किये। रास्तों में जो काँटे पड़े हों […] Read more » Featured कविता जीवन कविता हमें पार जाना ही है