कविता
हर कोई रिश्तेदार यहां पिछले जन्म का
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकहर कोई रिश्तेदार यहां पिछले जन्म का,हर कोई किराएदार यहां पिछले जन्म का!हर कोई कर्ज चुकाने,उगाहने आता पिछले जन्म का! यहां नहीं कोई मित्र, नहीं कोई शत्रु होता,दोस्त और दुश्मन आ मिलते, पिछले जन्म का,जिससे तुमने जो लिया, दिया, वो सब ले, दे जाएंगे! खाली हाथ आए,खाली हाथ जाएंगे,जो भी तुमने लिया, दिया […]
Read more »