कविता कविता : बर्फ के रिश्ते – विजय कुमार January 19, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment बर्फ के रिश्ते अक्सर सोचता हूँ , रिश्ते क्यों जम जातें है ; बर्फ की तरह !!! एक ऐसी बर्फ .. जो पिघलने से इनकार कर दे… एक ऐसी बर्फ .. जो सोचने पर मजबूर कर दे.. एक ऐसी बर्फ… जो जीवन को पत्थर बना दे…… इन रिश्तों की उष्णता , दर्द की […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : मर्द और औरत – विजय कुमार January 18, 2012 / January 18, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 3 Comments on कविता : मर्द और औरत – विजय कुमार मर्द और औरत हमने कुछ बनी बनाई रस्मो को निभाया ; और सोच लिया कि अब तुम मेरी औरत हो और मैं तुम्हारा मर्द !! लेकिन बीतते हुए समय ने जिंदगी को ; सिर्फ टुकड़ा टुकड़ा किया . तुमने वक्त को ज़िन्दगी के रूप में देखना चाहा मैंने तेरी उम्र को एक […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : ‘तू’ और ‘प्यार’ – विजय कुमार January 16, 2012 / January 18, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment तू मेरी दुनिया में जब मैं खामोश रहती हूँ , तो , मैं अक्सर सोचती हूँ, कि खुदा ने मेरे ख्वाबों को छोटा क्यों बनाया …… एक ख्वाब की करवट बदलती हूँ तो; तेरी मुस्कारती हुई आँखे नज़र आती है, तेरी होठों की शरारत याद आती है, तेरे बाजुओ की पनाह पुकारती है, […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : सलीब – विजय कुमार January 16, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment सलीब कंधो से अब खून बहना बंद हो गया है … आँखों से अब सूखे आंसू गिर रहे है.. मुंह से अब आहे – कराहे नही निकलती है..! बहुत सी सलीबें लटका रखी है मैंने यारों ; इस दुनिया में जीना आसान नही है ..!!! हँसता हूँ मैं , कि.. […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : परायों के घर – विजय कुमार January 16, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 2 Comments on कविता : परायों के घर – विजय कुमार परायों के घर कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई; सपनो की आंखो से देखा तो, तुम थी …..!!! मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी, उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था, मैंने तुम्हारे लिये ; एक उम्र भर के लिये …! आज कही खो गई थी, वक्त के धूल भरे […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : जानवर – विजय कुमार January 16, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment जानवर अक्सर शहर के जंगलों में ; मुझे जानवर नज़र आतें है ! इंसान की शक्ल में , घूमते हुए ; शिकार को ढूंढते हुए ; और झपटते हुए.. फिर नोचते हुए.. और खाते हुए ! और फिर एक और शिकार के तलाश में , भटकते हुए..! और क्या कहूँ […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता