व्यंग्य साहित्य व्यंग्य ; हे अतिथि, कब आओगे?? February 1, 2012 / February 1, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम हे परमादरणीय अतिथि! अब तो आ जाओ न! माना सर्दियों में घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है, पर अब तो वसंत गया। विपक्ष ने चुनाव आयोग से कह जिन हाथियों को ढकवा दिया था वे भी वसंत के आने पर कामदेव के बाणों से आहत होकर चिंघाड़ने लग गए हैं। सच कहूं […] Read more » guest vyangya कब आओगे व्यंग्य हे अतिथि