कविता अपने ही लोग जहर बुनते हैं January 23, 2023 / January 23, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक अपने ही लोग जहर बुनते हैं अपने अपनों की तरक्की में सिर धुनते हैं अपनों के बीच बड़ी साजिश होती अपनों के मध्य बड़ी रंजिश होती अपनों के बनाए व्यूह से बच निकलना तो सबसे बड़ा किला फतह होता अपनों की नजर से छिपकर तप करना मनोरथ सिद्धि के पूर्व में किसी […] Read more » अपने ही लोग जहर बुनते हैं