समाज भारतीय अफसरशाही की दशा और दिशा May 1, 2011 / December 13, 2011 by जावेद उस्मानी | 7 Comments on भारतीय अफसरशाही की दशा और दिशा कोषपूर्वा: सर्वारम्भाः। तस्मात पूर्वं कोषमवेक्षेत। कौटिल्य अर्थशास्त्रमःअघ्याय 8 प्रकरण 24 श्लोक 1 (सभी कार्य कोष पर निर्भर है। इसलिये राजा को चाहिये कि सबसे पहले कोष पर ध्यान दे।) सभ्यता के प्रारंभ से ही मानवों ने पहले समाज एंव फिर एक सामाजिक सत्ता की आवश्यकता महसूस कर ली थी। शक्ति आधारित राजतंत्रीय ब्यवस्था मे प्रारंभिक […] Read more » Indian अफसरशाही दशा दिशा भारतीय
राजनीति लोकतंत्र की छाती पर सवार अफरसरशाही July 6, 2010 / December 23, 2011 by गिरीश पंकज | 5 Comments on लोकतंत्र की छाती पर सवार अफरसरशाही -गिरीश पंकज देश जब गुलाम था, तब महात्मा गाँधी ने विश्वास जताया था कि आजादी के बाद अपना राज यानी स्वराज्य होगा। लेकिन आजजो हालत है, उसे देख कर कहना पड़ता है, कि अपना राज है कहाँ ? उस लोक का तंत्र कहाँ नजर आता है, जिस लोक ने अपने ही तंत्र की स्थापना की? […] Read more » Democracy अफसरशाही लोकतंत्र