विविधा गांधीवाद की परिकल्पना- 5 April 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गांधीजी को लोकतंत्र का प्रबल समर्थक भी कहा जाता है। उनके चहेते शिष्य जवाहरलाल ने इस बात का बहुत बढ़-चढक़र प्रचार किया। जबकि उस समय की परिस्थिति गत साक्ष्य यह सिद्घ कर रहे हैं कि गांधीजी का लोकतंत्र में नही अपितु अधिनायकवाद में दृढ़ विश्वास था। अब संक्षिप्त चर्चा इस पर करते हैं। भारतीय समाज में ऐसे व्यक्ति को बुद्घिमान माना जाता है जो देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार उचित निर्णय लेने में सक्षम और समर्थ होता है तथा अपने कार्य को निकालने में सफल होता है। गांधीजी भारतीय समाज व संस्कृति के इस तात्विक सिद्घांत को पलट देना चाहते थे। Read more » Featured असहयोग आंदोलन गाँधीजी गाँधीवाद लोकतंत्र सदगुरू रामसिंह ने प्रारंभ किया असहयोग आंदोलन
विविधा गांधीवाद की परिकल्पना -4 April 19, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment जहां तक उनकी अहिंसा नीति का प्रश्न है तो इस गांधीवादी अहिंसा की तो परिभाषा ही बड़ी विचित्र है। यदि एक ओर उन्होंने अपनी पत्नी को डॉक्टर से इंजेक्शन न लगवाने का कारण इसमें हिंसा होना बताया था तो दूसरी ओर उनकी अहिंसा का हृदय हिंदू हत्याओं की हो रही भरमार को भी देखकर कभी पिघला नहीं। अपितु मुस्लिमों के हाथों मरने के लिए उन्हें अकेला छोड़ दिया गया। हमारी अनाथ और असहाय माताओं, बहनों और ललनाओं पर किये गये मुस्लिमों के अमानवीय अत्याचारों को देखकर भी उनका हृदय द्रवित नही हुआ था, क्या इसलिए कि वे अहिंसा प्रेमी थे? Read more » Featured असहयोग आंदोलन गाँधीजी गांधीजी और असहयोग आंदोलन गाँधीवाद गांधीवाद की परिकल्पना