Tag: असहयोग आंदोलन

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गांधीवाद की परिकल्पना- 5

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गांधीजी को लोकतंत्र का प्रबल समर्थक भी कहा जाता है। उनके चहेते शिष्य जवाहरलाल ने इस बात का बहुत बढ़-चढक़र प्रचार किया। जबकि उस समय की परिस्थिति गत साक्ष्य यह सिद्घ कर रहे हैं कि गांधीजी का लोकतंत्र में नही अपितु अधिनायकवाद में दृढ़ विश्वास था। अब संक्षिप्त चर्चा इस पर करते हैं। भारतीय समाज में ऐसे व्यक्ति को बुद्घिमान माना जाता है जो देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार उचित निर्णय लेने में सक्षम और समर्थ होता है तथा अपने कार्य को निकालने में सफल होता है। गांधीजी भारतीय समाज व संस्कृति के इस तात्विक सिद्घांत को पलट देना चाहते थे।

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गांधीवाद की परिकल्पना -4

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जहां तक उनकी अहिंसा नीति का प्रश्न है तो इस गांधीवादी अहिंसा की तो परिभाषा ही बड़ी विचित्र है। यदि एक ओर उन्होंने अपनी पत्नी को डॉक्टर से इंजेक्शन न लगवाने का कारण इसमें हिंसा होना बताया था तो दूसरी ओर उनकी अहिंसा का हृदय हिंदू हत्याओं की हो रही भरमार को भी देखकर कभी पिघला नहीं। अपितु मुस्लिमों के हाथों मरने के लिए उन्हें अकेला छोड़ दिया गया। हमारी अनाथ और असहाय माताओं, बहनों और ललनाओं पर किये गये मुस्लिमों के अमानवीय अत्याचारों को देखकर भी उनका हृदय द्रवित नही हुआ था, क्या इसलिए कि वे अहिंसा प्रेमी थे?

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