कविता ‘आज’ का क्या करूं मै June 6, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment वो शाम चुलबुली सी रातें खिली खिली सी वक़्त के समंदर में वो वक़्त ही घुल गया है। अब शांत सी शामें हैं, चादर में नहीं हैं सिलवट नींद से रूठा मनाई, यादें आईं नई पुरानी, बचपन की कोई कहानी या जवानी की नादानी, रातों को आंखो में आकर, नीदें चुराने लगी हैं। भविष्य भी […] Read more » ‘आज' का क्या करूं मै