दोहे आज कोई जग ख़िताब ! November 15, 2019 / November 15, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment आज कोई जग ख़िताब, चह कहाँ हैं पा रहे; मन हमारे आज ख़्वाब, आ कहाँ हैं पा रहे ! जो भी कुछ गा पा रहे, मुक्त भव से आ रहे; अलूनी सी आत्म ध्वनि में, सलौनी छवि दे रहे ! पढ़ न पाते हम किताब, रह न पाते रख रख़ाव; रख न पाते कोई हिसाब, […] Read more » आज कोई जग ख़िताब !