धर्म-अध्यात्म भारतवर्ष की आत्मा धर्ममय November 18, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी स्वयं के लिए जीवन जीना पशुता है और दूसरों को भी जीने देना ही मानव धर्म है। धर्म-परायण, सभ्य मानवों ने दूसरों को भी ‘जीने दो’ का लक्ष्य रख कर स्वेच्छा से कुछ नियम और प्रतिबन्ध अपने ऊपर लागू कर लिये हैं। मानव भोजन के लिये किसी जीव की हत्या करने के […] Read more » Bharat Featured India आत्मा धर्ममय भारतवर्ष