कविता आदमी July 25, 2021 / July 25, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment कहीं खो गया है आभासी दुनिया में आदमीझुंठलाने लगा है अपनी वास्तविकता को आदमीपरहित को भूलकर स्वहित में लगा है आदमीमीठा बोलकर ,पीठ पर वार करता है आदमीचलता जा रहा है सुबह शाम आदमीपता नहीं किस मंजिल पर पहुँच रहा है आदमीअपनी तरक्की की परवाह नहीं हैदूसरों की तरक्की से जल भुन रहा है आदमीमन […] Read more » आदमी
विविधा (स्वर्गीय) श्रीलाल शुक्ल के अमर ग्रंथ ‘राग दरबारी’ September 3, 2018 / December 5, 2018 by अभिलेख यादव | 2 Comments on (स्वर्गीय) श्रीलाल शुक्ल के अमर ग्रंथ ‘राग दरबारी’ अनिल सिंह कुछ दिन पहले अखबार में पढ़ा कि (स्वर्गीय) श्रीलाल शुक्ल के अमर ग्रंथ ‘राग दरबारी’ के प्रकाशन के 50 वर्ष पूरे हो गये। पढ़ कर दिमाग बरबस ही उस दिन की ओर चला गया जब पहली बार यह पुस्तक मुझे पढ़ने को मिली थी। मुझे अच्छी तरह याद है: जून 1981 की बात […] Read more » Featured आदमी खन्ना मास्टर गयादीन जी चन्द्रशेखर आजाद चाय-बिस्कुट छात्र छोटे पहलवान प्रिंसिपल साहब बद्री पहलवान शिवपालगंज सनीचर
कविता साहित्य आदमी June 13, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment हज़ारों की भीड़ में भी, अकेला है आदमी! आदमी ही आदमी को, नहीं मानता आदमी! संवेदनायें खो गईं, चोरी क़त्ल बढ़ गये, कोई भी दुष्कर्म करते, डरता नहीं अब आदमी। भगवान ऊपर बैठकर ये सोचता होगा कभी, ऐसा नहीं बनाया था मैने क्या बन गया है आदमी! स्वार्थ की इंतहा हुई , भूल गया दोस्ती […] Read more » आदमी