व्यंग्य साहित्य आलू और पनीर (सेल्वम्) February 7, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment दुनिया की हर भाषा में लोकजीवन में प्रचलित प्रतीकों और मुहावरों का बड़ा महत्व है। फल-सब्जी, पशु-पक्षी और व्यवहार या परम्पराओं से जुड़ी बातें साहित्य की हर विधा को समृद्ध करती दिखती हैं। अब आप आलू को ही लें। यह हर सब्जी में फिट हो जाता है। इससे नमकीन और मीठे, दोनों तरह के व्यंजन […] Read more » Featured आलू और पनीर (सेल्वम्)