कविता ऋतुराज बसन्त February 9, 2021 / February 9, 2021 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment Read more » ऋतुराज बसन्त
कविता साहित्य ऋतुराज बसन्त January 22, 2018 by शकुन्तला बहादुर | 1 Comment on ऋतुराज बसन्त सखि,बसन्त आ गया । धरती पर छा गया ।। ख़ुशियाँ बरसा गया । सबके मन भा गया ।। सरसों से खेत सजे। सबका मन मोह रहे।। आमों में बौर लदे । कुहू कुहू भली लगे ।। बाग़ों में फूल खिले । भौंरे हैं झूम चले ।। मन्द मन्द पवन चली । मन की कली है […] Read more » Featured ऋतुराज बसन्त
कविता साहित्य ऋतुराज बसन्त April 2, 2017 by शकुन्तला बहादुर | 4 Comments on ऋतुराज बसन्त शकुन्तला बहादुर आ गया ऋतुराज बसन्त। छा गया ऋतुराज बसन्त ।। * हरित घेंघरी पीत चुनरिया , पहिन प्रकृति ने ली अँगड़ाई नव- समृद्धि पा विनत हुए तरु, झूम उठी देखो अमराई । आज सुखद सुरभित सा क्यों ये मादक पवन बहा अति मन्द ।। आ गया …. * फूल उठी खेतों में सरसों महक […] Read more » ऋतुराज बसन्त