लेख साहित्य एकात्म मानववाद का संदेशवाहक है योग June 20, 2025 / June 23, 2025 by डॉ शंकर सुवन सिंह | Leave a Comment डॉ. शंकर सुवन सिंह मानव का प्रकृति से अटूट सम्बन्ध होता है। समाज प्रकृति की व्यवस्था पर टिका हुआ है। प्रकृति व मानव एक दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति के बिना मानव की परिकल्पना नहीं की जा सकती। प्रकृति दो शब्दों से मिलकर बनी है – प्र और कृति। प्र अर्थात प्रकृष्टि (श्रेष्ठ) और कृति […] Read more » एकात्म मानववाद योग
राजनीति एकात्म मानववाद – एक दिव्य सिद्धांत September 24, 2024 / September 24, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था – “विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक समान बनाने का प्रयत्न करना।” The worst form of inequality is to try to make unequal things equal. एकात्म मानववाद, विषमता को इससे बहुत आगे के स्तर पर जाकर […] Read more » एकात्म मानववाद
लेख शख्सियत शासकीय तंत्र में मानवीय मंत्र की स्थापना का सिद्धांत – एकात्म मानववाद September 24, 2021 / September 24, 2021 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था – “विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक समान बनाने का प्रयत्न करना।” The worst form of inequality is to try to make unequal things equal. एकात्म मानववाद, विषमता को इससे बहुत आगे के स्तर पर जाकर हमें समझाता […] Read more » Integral Humanism Principle of establishment of human mantra in government system Principle of establishment of human mantra in government system - Integral Humanism एकात्म मानववाद पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय
राजनीति एकात्म मानववाद और भारतीय राष्ट्रवाद January 13, 2020 / January 13, 2020 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on एकात्म मानववाद और भारतीय राष्ट्रवाद भारत के बारे में पश्चिम के विद्वानों ने यह भ्रांति फैलाने का निरर्थक प्रयास किया है कि भारत में राष्ट्रवाद की भावना कभी नहीं रहीऔर भारत में राष्ट्रवाद का प्रचार – प्रसार ब्रिटिश काल में हुआ । उससे पहले इस देश में राष्ट्रीयता की भावना थी ही नहीं। जिन विदेशी विद्वानों , लेखकों या इतिहासकारों […] Read more » indian nationalism Integral Humanism एकात्म मानववाद एकात्म मानववाद और भारतीय राष्ट्रवाद भारतीय राष्ट्रवाद
धर्म-अध्यात्म तंत्र में मानवीय मंत्र स्थापना का सिद्धांत February 10, 2015 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment सन्दर्भ: एकात्म मानववाद भारत को देश से बहुत अधिक आगे बढ़कर एक राष्ट्र के रूप में और इसके अंश के रूप में यहाँ के निवासियों को नागरिक नहीं अपितु परिवार सदस्य के रूप में माननें के विस्तृत दृष्टिकोण का अर्थ स्थापन यदि किसी राजनैतिक भाव या सिद्धांत में हो पाया है तो वह है पंडित […] Read more » एकात्म मानववाद तंत्र में मानवीय मंत्र स्थापना का सिद्धांत