कविता
एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा
by बीनू भटनागर
-बीनू भटनागर- एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा, उत्तरी ध्रुव से चली, दक्षिण के ध्रुव से, जाकर के मिली, प्रशांत महासागर के, रस्ते से गई। रेखा ये ऐसी वैसी नहीं, इसके बांई ओर, तारीख हो आठ, तो दांई ओर होगी नौ, ये नहीं गुज़रती, थल से कहीं, तिथि के कारण, भ्रम हो न कहीं, इसलिये, समुद्र में […]
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