कविता ओ अनजाने सहयात्री February 21, 2021 / February 21, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकओ अनजाने सहयात्री!तू बैठ जा मेरी आधी सीट परमेरी पीठ से लगकर कि यात्रा अभी बहुत लम्बी है! यह मत समझना कि यकायक तुम परमेरा प्यार उमड़ आया किसी स्वार्थ या श्रद्धा भाव से! मेरी सदाशयता है आशंका प्रसूतकि तुम्हें ईर्ष्या न हो जाए मेरे भाग्य सेजग न जाए एक शैतान तुम्हारे अंदरउग […] Read more » ओ अनजाने सहयात्री