कविता सूरज और चाँद भी मजे लेने लगे है June 12, 2018 / June 12, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कलयुग में सब बदलने लगे है सूरज,चाँद भी बदलने लगे है ये भी अब मजे लेने लगे है अपनी आदत बदलने लगे है इंसान की तरह बदलने लगे है एक दूजे को धोखा देने लगे है “सूरज” की जरा असलियत तो देखो, सुबह सैर को निकलता है “किरन” के साथ दोपहर को रहता है “रौशनी” […] Read more » कलयुग चाँद सूरज सूरज और चाँद भी मजे लेने लगे है
कविता दूसरे को समझाने में सफल,अपने आप में असफल April 30, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on दूसरे को समझाने में सफल,अपने आप में असफल पत्थर में भगवान है,यह समझने में धर्म सफल रहा पर इंसान में इंसान हे,वह समझने में धर्म असफल रहा दूसरो को समझाने में इंसान सफल रहा अपने को समझाने मे इंसान असफल रहा इंसान ने भलाई की भला रहा , बुराई की बुरा रहा इस बात को समझ कर भी, इंसान असफल रहा बाबा […] Read more » Featured इंसान कड़ी मेहनत कलयुग पत्थर भक्तों भगवान सफल समझाने
व्यंग्य कलयुग और लोकपाल April 16, 2012 / April 16, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव घोर कलयुग आ गया। घोर कलयुग। पंडितजी ने गांठ लगी चुटिया पर हाथ फेरते हुए जनहित में एक गोपनीय तथ्य का सार्वजनिक राष्ट्रीय प्रसारण किया। रेडियो,टीवी,अखबार मीडिया के इतने बड़े कुनबे के होते हुए भी आम जनता तक ये ब्रकिंग न्यूज अभी तक नहीं पहुंची है,पता नहीं पंडितजी को ये क्रूर मुगालता […] Read more » lokpal कलयुग लोकपाल