कविता कविता:जांच आयोग-प्रभुदयाल श्रीवास्तव March 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बंद कमरे में वक्त भूख की आग में जलती अतड़ियों से जुर्म करवाता है अपराधी को थाने कठघरे वकील गवाह जज दलील सत्य उगलवाती गीता रोती हुई पत्नी सीता मुंशियों और बाबुओं के रास्ते फाँसी के फंदे तक पहुंचाता है धरती का इंसान आकाश में लटक जाता है सफेड पोश भगवान दिन दहाड़े लूटता […] Read more » poems by Prabhudayal Srivastav कविता कवितायें
कविता साहित्य कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 14, 2012 / February 14, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव एक दिवस बिल्ली रानी ने सब चूहों को बुलवाया ढीले ढाले उन चूहों को बड़े प्रेम से समझाया| अपने संबोधन में बोली मरे मरे क्यों रहते हो इंसानों के जुर्म इस तरह क्यों सहते हो डरते हो। गेहूं चावल दाल सरीखे टानिक घर में भरे पड़े क्यों जूठन चाटा करते हो खाते खाने […] Read more » famous poems poem Poem by Prabhudayal shrivastav Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:छिंदवाड़ा की बात बड़ी है-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 13, 2012 / February 13, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment छिंदवाड़ा की बात बड़ी है टिक टिक चलती तेज घड़ी है छिंदवाड़ा की बात बड़ी है | साफ और सुथरी सड़कें हैं गलियों में भी नहीं गंदगी यातायात व्यवस्थित नियमित नदियों जैसी बहे जिंदगी लोग यहां के निर्मल कोमल नहीं लड़ाई झगड़े होते हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई आपस में मिलजुलकर रहते रातें होती […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:मायाबी रावण बने सब आका-सुरेन्द्र अग्निहोत्री February 13, 2012 / February 13, 2012 by सुरेन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment मायाबी रावण बने सब आका वोटों पर डालने को डाका जमूड़े सबको पहचान लो ? पहचान लिया चारो तरफ घूम जा घूम लिया जो पूछँ वह बतलाऐगा हाँ बतलाऊँगा राजनीति का खेल निराला काले को सफेद कर डाला बन न पाया मुद्दा महँगाई आरपार की शुरू हुई लड़ाई लोकपाल को भूल रहे है लोग […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:यूपी में चुनावी जंग देखिये-विभोर गुप्ता February 12, 2012 / February 12, 2012 by विभोर गुप्ता | Leave a Comment विभोर गुप्ता उत्तर प्रेदश में सियासी योद्धाओं की चुनावी जंग देखिये ऐसे-ऐसे दांव-पेंच कि अपनी-अपनी आँखें दंग देखिये “शाम की दवा” पूछने को “छोटे यादवजी” का ढंग देखिये गिरगिटों की तरह बदलते बागियों के बागी रंग देखिये घर-घर खाना खाने को “युवराज” के मन की उमंग देखिये निर्बलों से वोट मांगने को हाथ जोड़ते दबंग […] Read more » famous poems poem by vibhor gupta poem.poems political poems कविता कवितायें प्रसिद्ध कवितायें