कविता कविता जन्म लेती सहृदय अंत:करण में January 23, 2021 / January 23, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकरोज-रोज न जानेकितनी कविताएं मर जाती! तुम वैनतेय बनकरउड़ेल दो दसियों अमृत कलशपर दूर्वा बन लहलहा नहीं पाती कविताएं! ढेर अंकुरित हो चुके होते बीज जेहन मेंजो तुम्हारी वजह से हीनिकाल नहीं पाती कोंपले! जरा सोचो क्या बिना हरी-भरी पतियों केकभी फला-फूला है कोई पौधा? कविता कोई चीज नहीं होती ऐसीजिसे उपजा लें […] Read more » कविता जन्म लेती सहृदय अंत:करण में