साहित्य कहो कौन्तेय-१० August 2, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा द्रुपद को मैंने ससम्मान रथ से उतारा, गुरुवर के सम्मुख प्रस्तुत किया और विनम्र स्वर में निवेदन किया – “गुरुदेव! अपनी गुरुदक्षिणा स्वीकार करें।” मैं हर्षित हो उनके चरणों में गिर पड़ा। उन्होंने मुझे उठाकर वक्षस्थल से लगा लिया। यज्ञसेन द्रुपद ने अतीत में कभी गुरु द्रोण की मित्रता का अपमान किया […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-१०