कविता हम कोई कृति बनाते है October 22, 2018 by बीनू भटनागर | Leave a Comment हमने जीवन के धागों को, धड़ी की सुँईं से टाँका है। रोज़ वही दिनचर्या है रोज़ वही निवाले हैं। कभी शब्द बो देते है तो कविता उगने लगती है। कभी कभी शब्दों की खरपतवारों को, उखाज़ उखाड़ के फेंका है। शब्द खिलौने से लगते हैं, मन बहलाते है, कभी हँसी ठिठोली करते हैं, कभी आँख […] Read more » कृति