लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-54 February 8, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज गुरू अद्भुत दर्शनीय मिले अर्जुन हुआ निहाल। अतुलित ज्ञान गाम्भीर्य व्यक्तित्व बड़ा विशाल।। ऐसे अद्भुत दर्शनीय गुरू श्रीकृष्ण जी अपने शिष्य अर्जुन को बताने लगे कि अर्जुन! अब मैं तुझे पवित्रतम और अति उत्तम प्रत्यक्ष फल देने वाली, धर्म के सर्वथा अनुकूल और साधन करने […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व ईश्वर विषयक भ्रम गीता गीता का आठवां अध्याय गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय गीता का सातवां अध्याय मोक्ष कब तक मिला रहता है विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-53 February 7, 2018 / February 8, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज उत्तरायण प्रकाश है दक्षिणायन अंधकार। शुक्लपक्ष प्रकाश है कृष्णपक्ष अंधकार।। उत्तरायण प्रकाशकाल है तो दक्षिणायन अंधकारकाल है। इन दोनों प्रकार के मार्गों को जीवन पर लाकर तोलते समय ध्यान देना चाहिए कि शुक्ल पक्ष और उत्तरायण काल का अर्थ प्रकाशमान से है। अत: जिसका जीवन […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व ईश्वर विषयक भ्रम गीता गीता का आठवां अध्याय गीता का कर्मयोग गीता का सातवां अध्याय मोक्ष कब तक मिला रहता है विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-50 February 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज एकाक्षर ब्रह्म गीता के आठवें अध्याय में ब्रह्म, कर्म, अध्यात्म, अधिभूत, अधिदैव, अधियज्ञ तथा अन्तकाल की सुन्दर व्याख्या की गयी है। अर्जुन ने गीता के आठवें अध्याय के आरम्भ में प्रश्न कर लिया है कि पुरूषोत्तम वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व एकाक्षर ब्रह्म गीता गीता का आठवां अध्याय गीता का कर्मयोग विश्व समाज