लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-78 March 29, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज क्या है त्रिगुणातीत? जब श्रीकृष्णजी ने त्रिगुणों की चर्चा की और लगभग त्रिगुणातीत बनकर आत्म विजय के मार्ग को अपनाकर जीवन को उन्नत बनाने का प्रस्ताव अर्जुन के सामने रखा तो अर्जुन की जिज्ञासा मुखरित हो उठी। उसने अन्त:प्रेरणा से प्रेरित होकर श्रीकृष्णजी […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व त्रिगुणातीत विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-36 January 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज गीता का छठा अध्याय कर्म के विषय में महर्षि दयानन्द जी महाराज ने ‘आर्योद्देश्यरत्नमाला’ में लिखा है- ”जो मन, इन्द्रिय और शरीर में जीव चेष्टा करता है वह कर्म कहाता है। शुभ, अशुभ और मिश्रित भेद से तीन प्रकार का है।” कर्म के विषय में […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-35 January 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज गीता का भूतात्मा और पन्थनिरपेक्षता गीता ने सर्वभूतों में एक ‘भूतात्मा’ परमात्मा को देखने की बात कही है। वह भूतात्मा सभी प्राणियों की आत्मा होने से भूतात्मा है। सब भूतों में व्याप्त है भूतात्मा एक। परमात्मा कहते उसे आर्य लोग श्रेष्ठ।। मनुष्य जाति […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व