लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-77 March 29, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों को हमें उनके भाग्य भरोसे भी नहीं छोडऩा चाहिए। उनके उत्थान व कल्याण के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कार्य होते रहने चाहिएं। उनके विषय में हमने जो कुछ कहा है वह उनकी दयनीय अवस्था को ज्यों […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-76 March 26, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्णजी कहते हैं कि प्रकृति से उत्पन्न होने वाले सत्व, रज, तम-गुण इस अविनाशी देही को अर्थात आत्मा को शरीर में या क्षेत्र में बांध लेते हैं। इससे एक बात स्पष्ट होती है कि संसार की हर वस्तु में ब्रह्म का बीज है। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-75 March 26, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज गीता निष्कामता और फलासक्ति के त्याग को अपना प्रतिपाद्य विषय लेकर चल रही है। हर अध्याय का निचोड़ गीता के इसी प्रतिपाद्य विषय के आसपास ही आकर ठहरता है। अब जो विषय चल रहा है, वह यही है कि- रूह अलग है देह से देह […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय