लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-66 March 10, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का ग्यारह अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्णजी को यह स्पष्ट हो गया था कि अब युद्घ अनिवार्य है और अर्जुन ने गांडीव की डींगें हांकते हुए कौरवों को समाप्त करने का संकल्प भी ले लिया पर जब युद्घ की घड़ी आयी तो अर्जुन की मति मारी गयी। अब वह ‘किंकत्र्तव्यविमूढ़’ […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का ग्यारह अध्याय विश्व समाज
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-65 March 10, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का ग्यारह अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्ण जी कह रहे हैं कि अर्जुन अब जो कुछ होने जा रहा है उससे क्यारियों में नये फूल खिलने वाले हैं। इन पौधों का समय पूर्ण हो गया है। ये अपने कर्मों का फल पाने के लिए अब अपने आप ही मृत्यु के […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-64 March 6, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का ग्यारह अध्याय और विश्व समाज अर्जुन कह रहा है कि मैं जो कुछ देख रहा हूं उसकी शक्ति अनन्त है, भुजाएं अनन्त हैं, सूर्य चन्द्र उसके नेत्र हैं, मुंह जलती हुई आग के समान है। वह अपने तेज से सारे विश्व को तपा रहा है। वह सर्वत्र व्याप्त होता दीख […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व. karmayoga of geeta गीता
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-63 March 6, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज स्वामी चिन्मयानन्द जी की बात में बहुत बल है। आज के वैज्ञानिकों ने ‘गॉड पार्टीकल’ की खोज के लिए अरबों की धनराशि व्यय की और फिर भी वह ‘गॉड पार्टीकल’ अर्थात ब्रह्मतत्व की वैसी खोज नहीं कर पाये-जैसी हमारे श्री ऋषि-महर्षियों ने हमें […] Read more » Featured geeta आज का विश्व. karmayoga of geeta गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-62 February 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ”तुझे पर्वतों में खोजा तो लिये पताका खड़ा था। तुझे सागर मेें खोजा तो मां के चरणों में पड़ा था। सर्वत्र तेरे कमाल से विस्मित सा था मैं, मुझे पता चल गया तू सचमुच सबसे बड़ा था।।” ईश्वर को खोजने वाली दृष्टि होनी […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का दसवां अध्याय विश्व समाज
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-61 February 21, 2018 / February 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज सत्य है परमात्मा सृष्टि का आधार। उसके साधे सब सधै जीव का हो उद्घार।। वह परमपिता-परमात्मा सत्य है। सत्य वही होता है जो इस सृष्टि से पूर्व भी विद्यमान था और इसके पश्चात भी विद्यमान रहेगा, जो अविनाशी है। वह परमपिता परमात्मा अपने स्वभाव […] Read more » गीता का दसवां अध्याय Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-60 February 19, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज शस्त्रों में वज्र मैं हूं, गायों में कामधेनु मैं हूं, प्रजनन में कामदेव मैं हूं, सर्पों में वासुकि मैं हूं। यहां श्रीकृष्णजी किसी भी जाति में या पदार्थादि में सर्वोत्कृष्ट को अपना रूप बता रहे हैं। सर्वोत्कृष्ट के आते ही छोटे उसमें अपने […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-59 February 19, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ऐसी उत्कृष्ट श्रद्घाभावना के साथ जो लोग ईश भजन करते हैं-उनके लिए गीता का कहना है कि उन्हें मैं (भगवान) बुद्घि भी ऐसी प्रदान करता हूं कि जिसके द्वारा वे मेरे पास ही पहुंच जाते हैं। उन पर अपनी अनुकम्पा करने के लिए […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-58 February 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ”पत्ते-पत्ते की कतरन न्यारी तेरे हाथ कतरनी कहीं नहीं-” कवि ने जब ये पंक्तियां लिखी होंगी तो उसने भगवान (प्रकत्र्ता) और प्रकृति को और उनके सम्बन्ध को बड़ी गहराई से पढ़ा व समझा होगा। हर पत्ते की कतरन न्यारी -न्यारी बनाने वाला अवश्य […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का दसवां अध्याय गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-57 February 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज अन्य देवोपासक और भक्तिमार्गी पीछे हम कह रहे थे कि गीता बहुदेवतावाद की विरोधी है और एकेश्वरवाद की समर्थक है। यहां पुन: उसी बात को श्रीकृष्ण जी दोहरा रहे हैं, पर शब्द कुछ दूसरे हैं। जिन्हें सुनकर लगता है कि वे बहुदेवतावाद को […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-56 February 12, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इस प्रकार ईश्वर को एक देशीय न मानना स्वयं अपने बौद्घिक विकास के लिए भी आवश्यक है। आज का मनुष्य धर्म में भी व्यापार करता है। इसलिए हम उसे व्यापार में मुनाफे का एक सौदा बता रहे हैं कि वह ईश्वर को सर्वव्यापक […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-55 February 12, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इससे अगले श्लोक में श्रीकृष्णजी कहते हैं कि इस संसार में लोग किसी को ब्राह्मïण, किसी को बड़ा, किसी को चाण्डाल तो किसी को छोटा कहते हैं। जबकि सभी मनुष्यों में ‘मैं’ ही समाया होता हूं। इसका भाव यह है कि आत्मा को […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज