कविता
चक्र       
 
 by बीनू भटनागर    
-बीनू भटनागर- प्रत्यूष काल, किरणों का जाल, सूर्योदय हो गया, क्षितिज भाल। तारे डूबे तो, सूर्य उगा, चंदा भी थक कर, विदा हुआ। पक्षियों का गान कहे हुआ विहान। नींद से उठकर, मिट गई थकान। उषा काल के , रवि को प्रणाम!   मध्याह्न काल मे, सूर्य चढ़ा, ठीक गगन के बीच खड़ा, धरती का […] 
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