कविता चल वहां चल …………… September 5, 2017 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment चल वहां चल , किसी एक लम्हे में वक़्त की उँगली को थाम कर !!!! जहाँ नीली नदी खामोश बहती हो जहाँ पर्वत सर झुकाए थमे हुए हो जहाँ चीड़ के ऊंचे पेड़ चुपचाप खड़े हो जहाँ शाम धुन्धलाती न हो जहाँ कुल जहान का मौन हो जहाँ खुदा मौजूद हो , उसका करम हो […] Read more » चल वहां चल ……………