कविता चाहे किसी धर्म की हो माता सबकी मुखाकृति मां श्रद्धा सरीखी April 29, 2022 / April 29, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजीवों का जन्म माता से होता,पिता बीजों का विसर्जन करता,मां से मैं को अस्तित्व मिलता,जीवों को पहचान देता है पिता! माता से ममत्व का संज्ञान होता,पिता जीव को जातीय नाम देता,पिता से ही अहम का भान होता,माता भूमि उगाती बीज पिता का,मां से मिले मम में होती ममता! पितृत्व अहम से अहंकार में […] Read more » चाहे किसी धर्म की हो माता सबकी मुखाकृति मां श्रद्धा सरीखी