कविता चोर के घर चोरी January 31, 2014 / January 31, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment चोर की चोरी, चोरी की कार, कैसा लगा अनुप्रास अलंकार? होंडा सिटी में धन था अपार, सामने से आगई वैगनार। लूट के धन सब हुए फरार, कुछ दूर जाकर छोड़ी कार।… दिल्ली पोलिस बड़ी बेकार, शिंदे से जाकर करो तकरार। सट्टे का धन है या कालाबज़ार, कहां से आया धन का अंबार? संसद मे जाओ […] Read more » poem चोर के घर चोरी