कविता जब तक पूर्ण नहीं हो पाते ! November 30, 2018 / November 30, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | 1 Comment on जब तक पूर्ण नहीं हो पाते ! (मधुगीति १८११२८ ब) जब तक पूर्ण नहीं हो पाते, सृष्टि समझ कहाँ हम पाते; अपना बोध मात्र छितराते, उनका भाव कहाँ लख पाते ! हर कण सुन्दरता ना लखते, उनके गुण पर ग़ौर न करते; संग आनन्द लिए ना नचते, उनको उनका कहाँ समझते ! हैं गण शिव के गौण लखाते, शून्य हिये बिन ब्रह्म […] Read more » जब तक पूर्ण नहीं हो पाते ! दोष द्रष्टि शिव