व्यंग्य जरा हटके ,जरा बचके September 2, 2025 / September 2, 2025 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment कई दशकों पूर्व एक गाना बड़ा मशहूर हुआ था “ए दिल है मुश्किल है जीना यहाँ, जरा हटके जरा बचके ये है बॉम्बे मेरी जां ”। तब भारत की आर्थिक राजधानी के दो नाम हुआ करते थे । बंबई और बॉम्बे। बम्बई आम जन की जुबान में शहर को बोला जाता जबकि इलीट क्लास के […] Read more » जरा बचके जरा हटके
जन-जागरण काजल की कोठरी है, जरा बचके March 27, 2014 / March 27, 2014 by मनोहर पुरी | 1 Comment on काजल की कोठरी है, जरा बचके -मनोहर पुरी- हमारे पर्वूजों ने बहुत सोच-समझकर यह कहावत बनाई होगी कि काजल की कोठरी में कितना ही सयाना व्यक्ति जाये उसके ऊपर एक लकीर कालिख की लगनी अनिवार्य है। सर्वविदित है कि राजनीति ऐसी ही काजल की कोठरी है। इसमें आने वाले व्यक्ति को अपने चाल चेहरे और चरित्र के विषय में लंबे-चौड़े व्यक्तव्य […] Read more » Corruption in India काजल की कोठरी है जरा बचके