कविता साहित्य ताजमहल एवं मोक्षधाम November 28, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी मानव जीवन कितना अमोल, ब्रह्माण्ड हेतु कुछ कर जाओ। प्रत्यक्ष स्वर्ग व नरक यहां , दिल से जीयो ना बिसराओ । भारत रहा जगत का गुरु, सोने का चिड़िया कहा जाता। झूठी शान-शौकत में पड़कर , कोई ना इसे समझ पाता।। प्रत्यक्ष खड़े विरासतों को , पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपते चलो । […] Read more » ताजमहल एवं मोक्षधाम