कविता तुम कब ठहरोगे अंगुलीमाल January 18, 2021 / January 18, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअंगुलीमाल अंगुली काटता थाजिसके पास माल होता था! अंगुलीमाल सिर्फ नहीं था डाकूबल्कि पाप-पुण्य बोधवाला थाबाल-बच्चेदार सामाजिक प्राणी! जिसकी तादाद आज भी समाज में,बहुतायत में मिलते, ढेर अंगुलीमाल!अंगुलीमाल अपने ठौर से गुजरतेहर राहगीर की अंगुली नहीं काटता था! वर्णा गौतम बुद्ध कैसे लौट आतेसभी अंगुलियों के साथ आशीर्वाद देने! इतिहास अकसर झूठ नहीं […] Read more » तुम कब ठहरोगे अंगुलीमाल