दोहे साहित्य दर्द से ऊपर निकलना चाहिये ! June 27, 2017 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment दर्द से ऊपर निकलना चाहिये; छिपा जो आनन्द लखना चाहिये ! झाँकना सृष्टि में सूक्ष्म चाहिये; चितेरे बन चित्त से तक जाइये ! सोचना क्यों हमको इतना चाहिये; हो रहा जो उसको उनका जानिये ! समर्पण कर बस उसे चख जाइये; प्रकाशों की झलक फिर पा जाइये ! मिला मन को इष्ट के […] Read more » दर्द से ऊपर निकलना चाहिये !