व्यंग्य साहित्य चंद्र धरा दिनकर का लुकाछिपी महोत्सव January 31, 2018 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल आर गाँधी आज विश्व के अर्वाचीन अलौकिक प्रेमियों का क्षितिज में लुकाछिपी महोत्सव है …….. अनंतकाल से धरा अपने प्रेमी दिनकर की परिक्रमा में नृत्य निमंगम ….. दिन रात अपने प्रियतम की ग्रीषम किरणों से ऊर्जा प्राप्त कर उसे नुहारती और निहारती है ….दिनकर भी अपनी इस अलौकिक प्रेमिका को अपनी किरणों के बाहुपाश में जकड कर […] Read more » lunar eclipse चंद्र दिनकर धरा लुकाछिपी महोत्सव
कविता साहित्य धरा पर आये है July 17, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment धरा पर आये हैं तो कुछ धरा को देते जायें धरा ने जितना दिया है कुछ तो उसका मान रखें नदियों मे नही अपनी अस्थियों को बहायें क्यों न किसी पेड़ की खाद बने,लहलहायें। फलफूल से पूजाकरें मिट्टी की मूर्ति बनायें खँडित होने पर भी उसे नदियों में ना बहायें मिट्टी की मूर्ति को मिट्टी ही में मिलायें। धर्म में क्या लिखा है ये तो मै नहीं जानती अपनी इबारत ख़ुद लिखें जो सही लगे वो अपनाये। हम नहीं बदलेंगे सदियों पुरानी इबारते लकीर की फ़कीर पीटेंगे और पिटवायेंगे…… धर्म के नाम पर सिर काटेंगे कटवायेंगे ऐसे किसी भी धर्म को मै नहीं मानती! समय के साथ नदी बदलती लेती है रास्ते, नये टापू उगते हैं तो कई डूब जाते हैं आज जहाँ हिमालय है वहाँ कभी समुद्र था जब वो बदल गये तो हम क्यों ना बदल जायें। Read more » धरा