कविता
नारी का अस्तित्व
/ by डॉ. ज्योति सिडाना
किसी ने कहा कितुम तो केवल एक नारी हो,जिसका व्यक्तित्व नहीं है,जो अस्तित्व को देखती है,विचार और चेतना के परे,शील, धर्म, संस्कार और शर्म में,और सदियों से तय किए गए आचार विचार में।मैंने कहा सुनो,मन, चेतना और कर्म की तरह,देह भी एक विचार है,जिसे पढ़ा, देखा और सुना जाता है।विचार एक ऊर्जा है,देह का विचार […]
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