कविता निर्धन January 26, 2021 / January 26, 2021 by आलोक कौशिक | Leave a Comment पसंद नहीं वर्षा के दिननहीं भाती पूस की रातमिट्टी का घर है उसकानिर्धनता है उसकी ज़ात श्रम की अग्नि में जब वहपिघलाता है कृशकाय तनतब उपार्जन कर पाता हैअपने बच्चों के लिए भोजन उसकी छोटी-सी भूल पर भीउठ जाता सबका उस पर हाथदर्शक सब उसकी व्यथा केनहीं देता कोई उसका साथ मुख से नहीं बताता […] Read more » निर्धन