धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-5 April 12, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य पूजनीय प्रभो! हमारे भाव उज्ज्वल कीजिए गतांक से आगे…. ऐसा साधक या भक्त कहीं जड़ को चेतन मान लेता है तो कहीं चेतन को जड़ मान लेने की भूल कर बैठता है। जड़मूर्ति में चेतन परमेश्वर की भावना करना ऐसी ही भावुकता का परिणाम होता है। यह भावना नही अभावना है। जो […] Read more » Featured पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-4 April 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment कितना दयालु है मेरा दाता, कि अपने पास कुछ नही रखता। सवाया करके हमें ही लौटा देता है। इसीलिए वह यज्ञरूप है। जैसे यज्ञ में हम जो कुछ भी समर्पित करते हैं, उसे यज्ञ अपना बनाकर अपने पास नही रखता, अपितु उसे हमारी ओर से संसार के कल्याण हेतु सवाया ही नही हजारों गुना अधिक करके लोक-कल्याण के लिए लौटा देता है। Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-3 April 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment उपरोक्त प्रार्थना के शब्द जब किसी ईश्वरभक्त के हृदय से निकले होंगे तो निश्चय ही उस समय उस पर उस परमपिता परमेश्वर की कृपा की अमृतमयी वर्षा हो रही होगी। वह तृप्त हो गया होगा, उसकी वाणी मौन हो गयी होगी, उस समय केवल उसका हृदय ही परमपिता परमेश्वर से संवाद स्थापित कर रहा होगा। इसी को आनंद कहते हैं, और इसी को गूंगे व्यक्ति द्वारा गुड़ खाने की स्थिति कहा जाता है जिसके मिठास को केवल वह गूंगा व्यक्ति ही जानता है, अन्य कोई नही। Read more » पूजनीय प्रभो हमारे पूजनीय प्रभो! हमारे भाव उज्ज्वल कीजिए भाव उज्ज्वल