व्यंग्य साहित्य प्रेमचंद की जरूरत थी July 30, 2016 by अशोक गौतम | 1 Comment on प्रेमचंद की जरूरत थी अधराता हो चुका था। पर आखों से नींद वैसे ही गायब थी जैसे यूपी में चुनाव के चलते हर नेताई आंख से नींद गायब है। जैसे तैसे सोने का नाटक कर सोने ही लगा था कि फोन आया तो चैंका। किसका फोन होगा? किसी दोस्त को कहीं कुछ हो तो नहीं गया होगा? ये दोस्त […] Read more » Featured प्रेमचंद प्रेमचंद की जरूरत