कविता कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन March 7, 2012 / March 8, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन मेहनत जो करते दिन-रात वो दुख में रहते दिन-रात सुख देते सबको निज-श्रम से तिल-तिल कर मरते दिन-रात मिले पथिक को छाया हरदम पेड़, धूप सहते दिन-रात बाहर से भी अधिक शोर क्यों भीतर में सुनते दिन-रात दूजे की चर्चा में अक्सर अपनी ही कहते दिन-रात हृदय वही परिभाषित होता […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता प्रेम जहाँ बसते दिन-रात