कविता बसंत बहार February 10, 2013 by बीनू भटनागर | 1 Comment on बसंत बहार गूंजा राग बसंत बहार दिशा दिशा सम्मोहित हैं, फूल खिले तो रंग बिखरे हैं, गूंजा जब मधुरिम आलाप। भंवरों पर छाया उन्माद, स्वरों की हुई जो बौछार, तितली भंवरे और मधुलिका, पुष्पों के रस मे डूब रहे हैं। प्रकृति और संगीत एक रस, स्वर ताल के संगम में अब, झूल रहे हैं फूलों के दल, […] Read more » बसंत बहार