दिशा दिशा सम्मोहित हैं,
फूल खिले तो रंग बिखरे हैं,
गूंजा जब मधुरिम आलाप।
भंवरों पर छाया उन्माद,
स्वरों की हुई जो बौछार,
तितली भंवरे और मधुलिका,
पुष्पों के रस मे डूब रहे हैं।
प्रकृति और संगीत एक रस,
स्वर ताल के संगम में अब,
झूल रहे हैं फूलों के दल,
मस्त समीर के झोंकों के संग।
Madhur shabdon se yukt manbhaatee kavita .