कविता आज भी न बरसे कारे कारे बदरा June 13, 2015 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment -श्रीराम तिवारी- आज भी न बरसे कारे कारे बदरा, आषाढ़ के दिन सब सूखे बीते जावे हैं । अरब की खाड़ी से न आगे बढ़ा मानसून , बनिया बक्काल दाम दुगने बढ़ावे है। वक्त पै बरस जाएँ कारे–कारे बदरा , दादुरों की धुनि पै धरनि हरषावे है।। कारी घटा घिर आये ,खेतों में बरस जाए , सारंग की धुनि संग सारंग भी गावै है। बोनी की बेला में जो देर करे […] Read more » Featured आज भी न बरसे कारे कारे बदरा कविता बारिश कविता