कविता बेटी अतिथि भर होती January 25, 2021 / January 25, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment –विनय कुमार विनायककिसी बेटी से पूछोकितना त्रासद हैअपनी जननी-जन्मभूमि के लिएमेहमान हो जाना! बेटी जो जन्म लेती बेटे के मानिंदएक जोड़ी जिस्म केएकीकृत रज-वीर्य से संपृक्त! एकमेव गुणसूत्रों के योग सेएकाकार पारद सा द्विआत्माओं केअद्वैत मिलन से एक समान! कन्या दान के बाद हीकरार दिया जाता मेहमानदहलीज लांघते ही हो जातापितृगृह स्मृतिशेष मायका! भाई-बहन के […] Read more » बेटी अतिथि भर होती